Additional information
Weight | 0.210 kg |
---|---|
Dimensions | 22 × 14 × 1.5 cm |
ISBN | 978-81-977397-5-0 |
PAGES | 154 |
AUTHOR | SURENDRA CHANDRAVANSHI 'SACHET' |
Original price was: ₹299.00.₹279.00Current price is: ₹279.00.
दिल में उठने वाली भावना और अहसास, जो कोरे कागज़ पर लयबद्ध तरीके से उकेरा जाए, उसे कविता और ग़ज़ल कहें, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। कविता और ग़ज़ल मन और समाज के दर्पण होते हैं, जिसमें पवित्रता, निश्छलता, वीरता, प्रेम, श्रृंगार, विरह, मिलन का संयोजन बखूबी कवि और शायरों द्वारा किया जाता है। प्रस्तुत संग्रह में भी सभी रसों का वर्णन करने का एक छोटा सा प्रयास किया गया है। ‘कलम नहीं रूकने दूँगा और कलम नहीं झुकने दूँगा’ की तर्ज़ पर इस संग्रह की रचना की गई है। कविता-खण्ड में एक तरफ जहाँ समाज में व्याप्त बुराई, राजनीतिक स्वार्थपन, अपने घर-समाज में अपनों से तिरस्कृत, प्रताड़ित बुजुर्गों का छलकता दर्द, छोटे-छोटे बच्चों का अपने माता-पिता का प्यार और बिछड़ने का ग़म, तो दूसरी तरफ आगे बढ़ने की प्रेरणा एवं प्रकृति के सौंदर्य को दिखलाने की चेष्टा की गई है। वहीं ग़ज़ल-खण्ड में जीवन में घटने वाली घटना और उससे उपजे सवाल, प्रेमी और प्रेमिका की अंतर्निहित भावनाएँ, गाँव की सोंधी खुशबू, बीते दिनों की यादों की परछाईयाँ, जीवन दर्शन को ग़ज़ल रूपी माला में पिरोने का प्रयास किया गया है।
Weight | 0.210 kg |
---|---|
Dimensions | 22 × 14 × 1.5 cm |
ISBN | 978-81-977397-5-0 |
PAGES | 154 |
AUTHOR | SURENDRA CHANDRAVANSHI 'SACHET' |
दिल में उठने वाली भावना और अहसास, जो कोरे कागज़ पर लयबद्ध तरीके से उकेरा जाए, उसे कविता और ग़ज़ल कहें, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। कविता और ग़ज़ल मन और समाज के दर्पण होते हैं, जिसमें पवित्रता, निश्छलता, वीरता, प्रेम, श्रृंगार, विरह, मिलन का संयोजन बखूबी कवि और शायरों द्वारा किया जाता है। प्रस्तुत संग्रह में भी सभी रसों का वर्णन करने का एक छोटा सा प्रयास किया गया है। ‘कलम नहीं रूकने दूँगा और कलम नहीं झुकने दूँगा’ की तर्ज़ पर इस संग्रह की रचना की गई है। कविता-खण्ड में एक तरफ जहाँ समाज में व्याप्त बुराई, राजनीतिक स्वार्थपन, अपने घर-समाज में अपनों से तिरस्कृत, प्रताड़ित बुजुर्गों का छलकता दर्द, छोटे-छोटे बच्चों का अपने माता-पिता का प्यार और बिछड़ने का ग़म, तो दूसरी तरफ आगे बढ़ने की प्रेरणा एवं प्रकृति के सौंदर्य को दिखलाने की चेष्टा की गई है। वहीं ग़ज़ल-खण्ड में जीवन में घटने वाली घटना और उससे उपजे सवाल, प्रेमी और प्रेमिका की अंतर्निहित भावनाएँ, गाँव की सोंधी खुशबू, बीते दिनों की यादों की परछाईयाँ, जीवन दर्शन को ग़ज़ल रूपी माला में पिरोने का प्रयास किया गया है।