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PREM GALI ATI SAANKRI By ALOK SINGH KHALAURI

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SHATHE SHATHYAM SAMACHARET By ALOK SINGH KHALAURI

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MAHASAMAR: SATYAMEV JAYTE NANRITAM (Ramakant Mishra & Saba Khan)

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹399.00.

वो छल का एक ऐसा मायाजाल था, जिसके तंतु हर दिशा, हर मोड़, हर स्थान में फैले हुए थे। उसके दायरे में एक एक करके न जाने कितने लोगों की जिंदगी दांव पर लगी थी और न जाने कितने लोगों को उस मायाजाल के कुचक्र को तोड़ने के लिए लगना था, जिसकी मजबूत जड़ों ने सत्ता, राजनीति, व्यापार, प्रचार तंत्र से लेकर देश की वैज्ञानिक शक्ति से लेकर सामरिक शक्ति तक को अपने पाश में जकड़ रखा था। इस छल के विरुद्ध जिस ‘समर’ का बिगुल फूँका गया था, वो अब एक वृहद ‘महासमर’ का रूप ले चुका था, क्योंकि इस ‘कुचक्र’ की चहुंदिश फैली विशाल भुजाओं पर हर ओर से वार होने थे और इस महासमर के नायकों को हर मोड़ पर अपनी पूरी शक्ति से टकराना था। परत दर परत खुलती गाथा ‘महासमर: परित्राणाय साधूनाम् प्रथम’ का ये दूसरा भाग । रहस्य, रोमांच, त्याग, बलिदान और फरेब के सारे अवयवों में रची बसी, रमाकांत मिश्र एवं सबा खान की संयुक्त लेखनी से उपजी एक पारिस्थितिकीय रोमांच गाथा। ‘महासमर: परित्राणाय साधूनाम्- सत्यमेव जयते नानृतं

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Additional information

Weight 0.440 kg
Dimensions 21 × 14 × 4 cm
ISBN

978-8194540809

PAGES

536

Description

वो छल का एक ऐसा मायाजाल था, जिसके तंतु हर दिशा, हर मोड़, हर स्थान में फैले हुए थे। उसके दायरे में एक एक करके न जाने कितने लोगों की जिंदगी दांव पर लगी थी और न जाने कितने लोगों को उस मायाजाल के कुचक्र को तोड़ने के लिए लगना था, जिसकी मजबूत जड़ों ने सत्ता, राजनीति, व्यापार, प्रचार तंत्र से लेकर देश की वैज्ञानिक शक्ति से लेकर सामरिक शक्ति तक को अपने पाश में जकड़ रखा था। इस छल के विरुद्ध जिस ‘समर’ का बिगुल फूँका गया था, वो अब एक वृहद ‘महासमर’ का रूप ले चुका था, क्योंकि इस ‘कुचक्र’ की चहुंदिश फैली विशाल भुजाओं पर हर ओर से वार होने थे और इस महासमर के नायकों को हर मोड़ पर अपनी पूरी शक्ति से टकराना था। परत दर परत खुलती गाथा ‘महासमर: परित्राणाय साधूनाम् प्रथम’ का ये दूसरा भाग । रहस्य, रोमांच, त्याग, बलिदान और फरेब के सारे अवयवों में रची बसी, रमाकांत मिश्र एवं सबा खान की संयुक्त लेखनी से उपजी एक पारिस्थितिकीय रोमांच गाथा। ‘महासमर: परित्राणाय साधूनाम्- सत्यमेव जयते नानृतं

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